पटना उच्च न्यायालय
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बिहार की राजनीतिक बिरादरी ने हाल ही में पटना हाईकोर्ट के अंदर एक सरकारी कर्मचारी के कथित अपमान का बुधवार को कड़ा विरोध किया। उनके बारे में आरक्षण के माध्यम से नौकरी पाने का संकेत दिया गया। भाजपा, राजद और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जद (यू) ने एक निलंबित जिला भूमि अधिग्रहण अधिकरी को नीचा दिखाने के तरीके से संबोधित किये जाने का एकमत से विरोध किया है।
यह मामला तब सामने आया जब गत 23 नवंबर की अदालती सुनवाई का एक वीडियो फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। हालांकि वीडियो की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं की गई है। अधिकारी अपनी पिछली तैनाती के स्थान पर दिए गए मुआवजे के आदेश के संबंध में पेश हुए थे। कुछ सवाल-जवाब के बाद वीडियो में जज को उनसे यह पूछते सुना गया कि क्या उन्होंने आरक्षण प्रणाली का लाभ उठाया था। अधिकारी ने हां में जवाब दिया।
जद (यू) संसदीय बोर्ड के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, न्यायाधीश की टिप्पणी संविधान को अपमानित करती है। उन्हें सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए। राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा, हाल में, उच्च न्यायपालिका सवर्णों के प्रति पूर्वाग्रह दिखाने में काफी बेहिचक हो गई है। राज्य भाजपा के प्रवक्ता और ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव निखिल आनंद ने कहा, हम न्यायाधीश की टिप्पणी को अस्वीकार करते हैं।
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