कुढ़नी के वोटर भाजपा के साथ।
– फोटो : अमर उजाला
ख़बर सुनें
विस्तार
मोकामा-गोपालगंज चुनाव को सत्ता-विपक्ष ने 1:1 से जीता था, क्योंकि दोनों की अपनी-अपनी सीट पर जीत पक्की थी। परीक्षा थी तो मुजफ्फरपुर की कुढ़नी विधानसभा सीट पर उपचुनाव में। 05 दिसंबर को परीक्षा हुई, तब भी यह लग रहा था कि जो सामने वाले को जितनी बड़ी सेंध लगाएगा, उतनी आसानी से मुकाबला जीतेगा। भाजपा के वोटरों में वीआईपी ने बड़ी सेंध लगाई और महागठबंधन के वोटरों पर ओवैसी की पार्टी की सेंध अपेक्षाकृत बहुत छोटी रही, लेकिन जदयू को सेंध उसके अपने सहयोगी ने लगा दी। परिणाम ने साफ-साफ दिखा दिया कि राजद और जदयू के बीच दलों का गठबंधन तो हुआ है, दिलों का बिल्कुल नहीं। होता तो यह हाल कतई नहीं होता। पिछली बार से इस बार का वोट प्रतिशत थोड़ा कम होने के कारण भाजपा को नुकसान की बात कही जा रही थी, लेकिन असल में हुआ कुछ और। राजद के वोटरों ने जदयू का साथ ही नहीं दिया।
भाजपा को सबक के साथ मिली मनोबल बढ़ाने वाली जीत
2020 में कुढ़नी सीट पर महागठबंधन की ओर से राजद ने जीत दर्ज की थी। तब जदयू के वोटर भारतीय जनता पार्टी के साथ थे, फिर भी भाजपा प्रत्याशी की हार हो गई। इस बार भाजपा के उसी प्रत्याशी ने जदयू को शिकस्त दी। उस जदयू के प्रत्याशी की हार हुई है, जो अब राजद के साथ सत्ता में है। इतना ही नहीं, राजद के नंबर 2 नेता तेजस्वी यादव ने यहां आकर जदयू प्रत्याशी के समर्थन में राजद समर्थकों से वोट की अपील की थी। भाजपा के लिए इस जीत के अलग मायने हैं। पहला तो यह कि जीत के बावजूद उसे भूमिहार वोटरों के लिए कुछ सोचना पड़ेगा, क्योंकि मुकेश साहनी की पार्टी वीआईपी ने भूमिहार प्रत्याशी उतारकर इसके आधार वोटों को बड़ी क्षति पहुंचाई। भाजपा के लिए अच्छी बात यह रही कि उसने साथ छोड़ने वाले जदयू की पार्टी के प्रत्याशी को हराया है। पिछली बार जदयू के साथ रहने पर जितनी वोटर हिस्सेदारी हासिल नहीं हुई, उससे कहीं बेहतर इस बार सामने जदयू के महागठबंधन के साथ होने पर। इस जीत से भाजपा का मनोबल बढ़ना इसलिए भी तय है, क्योंकि इस सीट पर महागठबंधन ओवैसी की पार्टी का रोना भी नहीं रो सकता। यहां ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के प्रत्याशी ने महागठबंधन का मामूली आधार वोट ही काटा।
जदयू को चिंता के साथ मिली परेशान करने वाली हार
नीतीश कुमार के जनता दल यूनाईटेड ने कुढ़नी सीट के उप चुनाव में कम ताकत नहीं झोंकी थी। राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने पिता के साथ सिंगापुर जाने का प्रोग्राम इस चुनाव प्रचार को पूरा करने के बाद का रखा। नीतीश-तेजस्वी की सभाओं के बावजूद परिणाम साफ-साफ दिखा रहा है कि जदयू को राजद का वोट नहीं के बराबर मिला। यह हार जदयू के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि अपनी तरफ से उसने भी कोई कसर नहीं छोड़ी थी। राजद की ओर से तेजस्वी यादव स्टार प्रचारक के रूप में नहीं होने के बावजूद प्रचार के लिए न केवल गए, बल्कि लालू प्रसाद की ओर से भावनात्मक अपील भी की। ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ इस बार जदयू के निर्विरोध राष्ट्रीय अध्यक्ष बने राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के लिए भी यह चिंता का विषय है। जदयू को राजद का साथ नहीं मिलने की चिंता तो होगी ही, हासिल वोटों की संख्या के कारण परेशानी भी होगी।
भाजपा के केदार प्रसाद गुप्ता को मिले वोट- 76722
महागठबंधन के मनोज कु. सिंह को मिले वोट- 73073
वीआईपी के नीलाभ कुमार को मिले वोट- 10000
एआईएमआईएम के गुलाम मुर्तजा को मिले वोट- 3206
#जदयरजद #दल #मल #दल #नह #कढन #म #बड #सध #क #बवजद #भजप #जत #जदय #क #रजद #क #नह #सथ…जन #कस